राजस्थान के कला संस्थान

🎨 राजस्थान के कला संस्थान

🎭 राजस्थान के कला संस्थान
कला संस्थान स्थापना वर्ष अन्य तथ्य
भवानी नाट्यशाला (झालावाड़) 1921 शायक भवानी सिंह द्वारा निर्मित, यह ऑपेरा शैली पर आधारित है।
राजस्थान प्राच्य विद्या प्रतिष्ठान (जोधपुर) 1950 देश का सबसे बड़ा पाण्डुलिपि भंडार स्थित है।
भारतीय लोक कला मंडल 1952 इस संस्था की स्थापना का मुख्य उद्देश्य लोक कलाओं व कठपुलियों के शोध सर्वेक्षण प्रशिक्षण का प्रसार करना है।
राजस्थान साहित्य अकादमी (उदयपुर) 1958 उद्देश्य-साहित्कारों व साहित्यिक गतिविधियों को संरक्षण प्रदान करना। इसकी मासिक पत्रिका मधुमति है।
रूपायन संस्थान (बोरूंदा जोधपुर) 1960 राजस्थान के लोक गीतों, कथाओं एवं भाषाओं की परम्परागत खोज कर उसका संकलन कर रही है।
लोक संस्कृत शोध संस्थान (चूरू) 1964 इसे “नगरी श्री” भी कहा जाता है।
उर्दू अकादमी (जयपुर) 1979 नखलिस्तान नाम त्रैमासिक पत्रिका का प्रकाशन करती हें
राजस्थान भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी (बीकानेर) 1983 यह अकादमी प्रवृतियों की जानकारी (साहित्यिक सामग्री तथा समाचार बुलिटेन) प्रदान करने हेतु जागती जोत नामक मासिक पत्रिका का प्रकाशन करती है।
राजस्थान ब्रज भाषा अकादमी (जयपुर) 1986 यह ब्रज शतदल नामक त्रैमासिक पत्रिका का प्रकाशन करती है।
जवाहर कला केन्द्र (जयपुर) 1993 कलाकारों को प्रोत्साहन देना, कला धरोहर का संरक्षण करना।
चित्रशाला (बूंदी) - चित्रकला संग्रहालय, महाराजा उम्मेदसिंह के शासनकाल में निर्मित रंगीन चित्र (बूंदी चित्रकला, कलाकृतियां व मिनएचर पेंटिंग का सग्रंह है।)
पं. झाबरमल शोध संस्थान (जयपुर) 2000 पत्रकारिता में शोध कार्य के लिए

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