राजस्थान राज्य महिला आयोग

राजस्थान राज्य महिला आयोग

राजस्थान राज्य महिला आयोग एक वैधानिक एवं स्वायत्त संस्था है। इसकी स्थापना राज्य सरकार द्वारा विधानसभा में विधेयक पारित कर 15 मई, 1999 को की गई। यह आयोग राज्य में पीड़ित महिलाओं की शिकायतों के निवारण तथा महिलाओं के अधिकारों और हितों के संरक्षण का कार्य करता है।
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राज्य महिला आयोग का मुख्यालय जयपुर में स्थित है। आयोग का प्रमुख उद्देश्य महिलाओं से संबंधित कानूनों की समीक्षा करना, आवश्यक सुधारात्मक एवं उपचारात्मक विधायी उपायों की सिफारिश करना तथा महिलाओं को प्रभावित करने वाले सभी नीतिगत विषयों पर राज्य सरकार को परामर्श देना है।

संगठन

राजस्थान राज्य महिला आयोग अधिनियम, 1999 की धारा-3 के अनुसार आयोग में एक अध्यक्ष व तीन सदस्य होते हैं। इसके अतिरिक्त एक सदस्य सचिव होता है। आयोग के सदस्यों में से एक अनुसूचित जाति, एक अनुसूचित जनजाति और एक अन्य पिछड़ी जाति की महिला होगी। सदस्य सचिव राज्य सरकार द्वारा पद स्थापित अधिकारी होता है।

नियुक्ति

राज्य महिला आयोग के अध्यक्ष व सदस्यों की नियुक्ति राज्य सरकार द्वारा की जाती है। अध्यक्ष सरकार द्वारा मनोनीत होता है।

कार्यकाल

आयोग के अध्यक्ष व सदस्यों का कार्यकाल 3 वर्ष होता है।

वार्षिक प्रतिवेदन

राजस्थान राज्य महिला आयोग अधिनियम, 1999 की धारा-14 के अनुसार आयोग अपना वार्षिक प्रतिवेदन राज्य सरकार को प्रस्तुत करता है। धारा-14 के खण्ड (2) के अनुसार, राज्य सरकार आयोग की सिफारिशों पर प्रस्तावित कार्यवाही अथवा सिफारिशों को अस्वीकार किये जाने के कारणों सहित आयोग की रिपोर्ट विधानसभा में प्रस्तुत करेगी।

अधिकार क्षेत्र

राज्य सरकार द्वारा राज्य महिला नीति 8 मार्च, 2020 से लागू की गई। राज्य महिला नीति का सुचारू क्रियान्वयन सभी आयामों अर्थात् सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक, न्यायिक एवं विकासात्मक तौर पर सुनिश्चित कराना भी राज्य महिला आयोग का अधिकार क्षेत्र है।

आयोग के कार्य

अधिनियम की धारा-11 में आयोग के कार्यों का उल्लेख किया गया है।

आयोग के मुख्य कार्य हैं-
  • महिलाओं के खिलाफ किसी भी प्रकार के अनुचित व्यवहार की जाँच कर, उस पर विनिश्चित करना और अपेक्षित कार्यवाही हेतु सरकार को सिफारिश करना।
  • प्रचलित कानूनों की समीक्षा कर, उन्हें महिलाओं के हित में अधिक प्रभावशाली बनाने हेतु वांछित परिवर्तन करने की अनुशंसा करना।
  • राज्य लोक सेवाओं एवं राज्य लोक उपक्रमों में महिलाओं के विरुद्ध होने वाले किसी भी प्रकार के भेदभाव को दूर करना।
  • महिलाओं की स्थिति में सुधार करने की दृष्टि से, विकासात्मक उपायों, समान अवसर प्रदान कराने हेतु सकारात्मक योजनाओं एवं महिलाओं की स्थिति संबंधी तुलनात्मक अध्ययन एवं आँकड़ों के आधार पर, महिलाओं के अधिकारों के समर्थन की कार्यवाही को आगे बढ़ाना।
  • यदि आयोग के संज्ञान में आता है कि किसी लोक सेवक द्वारा महिलाओं के हितों के संरक्षण में उदासीनता बरती हो तो उसके विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही करने की सिफारिश राज्य सरकार को करना।

आयोग की शक्तियाँ

समाज में महिलाओं एवं बालिकाओं के प्रति व्याप्त भेदभाव को दूर करने के लिए आयोग के पास महत्त्वपूर्ण शक्तियाँ हैं। महिलाओं के विरुद्ध अत्याचार, हिंसा व उत्पीड़न की घटनाओं पर अंकुश लगाने एवं महिलाओं को समुचित न्याय दिलवाने हेतु महिला आयोग को कानूनी शक्तियाँ प्राप्त हैं। अधिनियम की धारा 10(1) के द्वारा आयोग को सिविल न्यायालय की शक्तियाँ प्राप्त है। मुकदमे को दीवानी प्रक्रिया संहिता 1908 के तहत सुनवाई करते समय राज्य महिला आयोग अधिनियम 1999 की धारा 10, 11, 12 और 13 के तहत निम्नलिखित शक्तियों का उपयोग कर सकता है।
  • धारा 10(1) A :-किसी भी गवाह को बुलाने और उसकी उपस्थिति सुनिश्चित करने और उसकी पड़ताल करने की शक्ति।
  • धारा 10(1) B के अनुसार आयोग को किसी भी दस्तावेज की खोज और उसकी प्रस्तुति का अधिकार है।
  • धारा 10(1) C हलफनामों पर साक्ष्य प्राप्त करने की शक्ति।
  • धारा 10(1) D किसी भी सार्वजनिक रिकॉर्ड या उसकी प्रतिलिपि का सार्वजनिक कार्यालय से अधिग्रहण।
  • धारा 10(1) E गवाहों की पड़ताल के लिए सम्मन जारी करना।
  • धारा 10(2) के अनुसार आयोग को एक सिविल न्यायालय माना जाएगा।
  • धारा 10(3) के तहत आयोग के सम्मुख प्रत्येक कार्यवाही अनुभाग 193 और 228 के तहत न्यायिक कार्यवाही के रूप में मानी जायेगी।

राजस्थान राज्य महिला आयोग: अध्यक्ष एवं कार्यकाल

1. प्रथम अध्यक्ष: कांता खतूरिया
कार्यकाल: 25 मई, 1999 से 24 मई, 2002 तक
आयोग के सदस्य: सुनीता सत्यार्थी, नगेन्द्र बाला, बनारसी मेघवाल

2. द्वितीय अध्यक्ष: पवन सुराणा
कार्यकाल: 28 जनवरी, 2003 से 27 जनवरी, 2006 तक
आयोग के सदस्य: निर्मला देवड़ा, सुनीता सत्यार्थी, दमयन्ती बाकोलिया

3. तृतीय अध्यक्ष: तारा भण्डारी
कार्यकाल: 15 अप्रैल, 2006 से 14 अप्रैल, 2009 तक
आयोग के सदस्य: आरती शर्मा, सुधा जाजोरिया, सुमन चौधरी

4. चतुर्थ अध्यक्ष: लाड कुमारी जैन
कार्यकाल: 24 नवम्बर, 2011 से 23 नवम्बर, 2014 तक
आयोग के सदस्य: लता प्रभाकर चौधरी, रूपा तिवाड़ी, दमयंती बाकोलिया

5. पंचम अध्यक्ष: सुमन शर्मा
कार्यकाल: 20 अक्टूबर, 2015 से 19 अक्टूबर, 2018 तक
आयोग के सदस्य: सौम्या गुर्जर, डॉ. रीता भार्गव

6. षष्ठम अध्यक्ष: रेहाना रियाज चिश्ती
कार्यकाल: 11 फरवरी, 2022 से 10 फरवरी, 2025 तक
आयोग के सदस्य: सुमन यादव, अंजना मेघवाल, सुमित्रा यादव

राजस्थान राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग

राजस्थान राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग एक स्वतंत्र राज्य स्तरीय वैधानिक निकाय है, जिसका गठन 23 फरवरी, 2010 को बाल अधिकार संरक्षण आयोग अधिनियम, 2005 की धारा-17 के अन्तर्गत किया गया है। राजस्थान राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग, राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग एवं अन्य राज्यों के आयोगों से समन्वय स्थापित कर, बाल अधिकारों को प्रोत्साहन देने व उनके संरक्षण हेतु कार्य करता है। राज्य सरकार द्वारा राजस्थान राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के नियमों का गजट नोटिफिकेशन- 5 अप्रैल, 2010 को किया गया है। महिला एवं बाल विकास विभाग- इस आयोग का भी प्रशासनिक विभाग है। बाल अधिकार संरक्षण आयोग अधिनियम, 2005 की धारा-17 के अनुसार- आयोग में एक अध्यक्ष, छः सदस्य- जिनमें कम से कम दो महिला सदस्य एवं एक सदस्य सचिव (IAS) होते हैं।

आयोग के उद्देश्य

बाल अधिकारों की पहचान करना, उन्हें बढ़ावा देना एवं उनके संरक्षण हेतु विभिन्न योजनाओं के तहत बच्चों को लाभान्वित करवाना।
राज्य में बच्चों से संबंधित सभी कानूनों, नीतियों, कार्यक्रमों, क्रियाओं एवं संस्थागत तंत्र का भारतीय संविधान एवं यू.एन. चाईल्ड राईट्स कन्वेंशन के अनुरूप क्रियान्वयन हो- यह सुनिश्चित करना।
सभी बच्चे अपना जीवन सम्मान के साथ जी सकें एवं उनकी आवाज को प्राथमिकता व ईमानदारी से प्रत्येक स्तर पर सुना जाये- यह सुनिश्चित करना।
बच्चों हेतु राज्य में मैत्रीपूर्ण वातावरण का निर्माण करना ताकि बच्चों का सर्वांगीण विकास हो एवं बच्चों व देश का भविष्य उज्ज्वल हो- यह सुनिश्चित करना।

बाल अधिकार संरक्षण आयोग के कार्य

बाल अधिकार संरक्षण आयोग अधिनियम, 2005 की धारा-13 एवं राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग नियम-9 में इस आयोग के कार्यों का उल्लेख है, जिनमें से प्रमुख हैं :-
उन सभी कारणों का परीक्षण करना जो बच्चों को उनके अधिकारों के आनन्दपूर्वक उपभोग में बाधा डालते हैं एवं उनके उचित उपचार हेतु अनुशंसा करना।
बाल अधिकारों संरक्षण के कानूनी उपायों का परीक्षण, समीक्षा एवं उनमें सुधार हेतु सिफारिश करना।
बाल अधिकारों के उल्लंघन की जाँच करना एवं ऐसे मामलों में दोषी के विरुद्ध कार्यवाही हेतु अनुशंसा करना।
किशोर गृह, बाल गृह एवं ऐसे अन्य स्थान- जहाँ बच्चों को संरक्षण एवं आवास प्रदान किया जाता है, का निरीक्षण करना एवं आवश्यकता समझने पर उपचार हेतु अधिकारियों को अनुशंसा करना।
स्कूल पाठ्यक्रम, अध्यापकों, बच्चों के साथ काम करने वाले कार्मिकों के प्रशिक्षण में बाल अधिकारों के समावेश को बढ़ावा देना।
आवश्यकता महसूस करने पर, गैर-सरकारी संगठनों एवं निगमित क्षेत्र से सम्पर्क एवं नेटवर्क स्थापित करना।
उन सभी घटकों की जाँच करना जो बच्चों को उनके अधिकारों से वंचित करते है और इन स्थितियों को सुधारने हेतु उपयुक्त अनुशंसा करना।
ऐसे वकीलों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, मनोवैज्ञानिकों, परामर्शदाताओं व अन्य विशेषज्ञों का पैनल बनाना- जो बच्चों के मामलों में आयोग की सहायता कर सकें।

आयोग के लाभ

बाल अधिकारों पर जनता को जागरूक करना। बाल अधिकार हनन के विभिन्न मुद्दों जैसे- बाल विवाह, बालश्रम, बाल देह व्यापार, बाल यौन शोषण, बच्चों पर हिंसा आदि मुद्दों पर जनजागृति हेतु कार्यशालाओं का आयोजन।
बच्चों से जुड़े मुद्दों से संबंधित कानूनों, नीतियों, योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन एवं राज्य में बाल अधिकार उल्लंघन से जुड़े मामलों की सघन निगरानी करना। राज्य आयोग को बच्चों से संबंधित दो अहम् कानूनों की निगरानी की जिम्मेदारी दी गई है, यह कानून है-
निःशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009
लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012

जनसुनवाई
आयोग द्वारा उरमूल संस्थान के सहयोग से बीकानेर में, आस्था संस्थान के सहयोग से उदयपुर में एवं मेवात एवं शिक्षा विकास संस्थान के सहयोग से अलवर में, जनसुनवाई भी आयोजित करवाई जाती हैं।

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Kartik Budholiya

Kartik Budholiya

Education, GK & Spiritual Content Creator

Kartik Budholiya is an education content creator with a background in Biological Sciences (B.Sc. & M.Sc.), a former UPSC aspirant, and a learner of the Bhagavad Gita. He creates educational content that blends spiritual understanding, general knowledge, and clear explanations for students and self-learners across different platforms.