राज्य सूचना आयोग (राजस्थान)

राज्य सूचना आयोग

जवाबदेह व पारदर्शी शासन व्यवस्था का आदर्श पूरे देश में लागू करने के उद्देश्य से 12 अक्टूबर, 2005 से सूचना का अधिकार अधिनियम लागू किया गया। 31 अक्टूबर, 2019 से जम्मू कश्मीर सहित सम्पूर्ण देश में लागू है। इस अधिनियम के द्वारा लोक प्राधिकारी के क्रियाकलापों में पारदर्शिता लाना और उसे उत्तरादायी बनाना है। इस अधिनियम का उद्देश्य सरकारी कार्यों के संबंध में सूचना आम लोगों तक पहुँचाना है।
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सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 की धारा 15(1) के द्वारा राज्यों में राज्य सूचना आयोग के गठन का प्रावधान किया गया है। इसकी व्यवस्था राज्यों द्वारा सरकारी गजट (शासकीय राजपत्र) के माध्यम से की है। राज्य सूचना आयोग एक वैधानिक, पूर्ण स्वायत्तशासी एवं उच्च प्राधिकार युक्त स्वतंत्र निकाय है जो राज्य में दर्ज शिकायतों की जाँच करता है और निवारण करता है। यह राज्य सरकार के अधीन कार्यरत सभी सार्वजनिक (सरकारी) कार्यालयों, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों, वित्तीय संस्थाओं के बारे में प्राप्त शिकायतों एवं अपीलों की सुनवाई कर उचित कार्यवाही करता है।

सूचना का अर्थ (Meaning of Information)

सूचना का अधिकार अधिनियम की धारा 2(f) के अनुसार सूचना का अर्थ है- ऐसे अभिलेख, दस्तावेज, परिपत्र-आदेश, रिपोर्ट, नमूने, आँकड़े, ज्ञापन, ई-मेल, मत, सलाह या यांत्रिक रूप में उपलब्ध सामग्री जिसकी जानकारी जन प्राधिकारी द्वारा विधिवत् रूप से दी जाती है। साथ ही किसी प्राइवेट निकाय से संबंधित ऐसी सूचना भी सम्मिलित है, जिस तक विधि के अधीन किसी लोक प्राधिकारी की पहुँच हो सकती है।

गठन/संरचना (Composition)

राज्य सूचना आयोग में- एक मुख्य आयुक्त और 10 अन्य राज्य सूचना आयुक्त होंगे। अधिनियम के अनुसार अन्य सूचना आयुक्तों की संख्या 10 से अधिक नहीं होगी। सूचना आयुक्तों की संख्या राज्यों में अलग-अलग है। अधिनियम के अनुसार राज्य सूचना आयोग के सदस्य सार्वजनिक जीवन से संबंध रखने वाले ऐसे व्यक्ति होंगे जिन्हें विधि, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, समाज सेवा, प्रबंध, पत्रकारिता, जनसंचार या प्रशासन में व्यापक ज्ञान और अनुभव प्राप्त हो। ऐसे सदस्य संसद या विधानमण्डल के सदस्य न हों और न ही लाभ के पद पर कार्यरत हों।

कार्यकाल एवं पद की सेवा शर्तें

राज्य मुख्य सूचना एवं राज्य के अन्य सूचना आयुक्तों के कार्यकाल का निर्धारण केन्द्र सरकार द्वारा, सूचना का अधिकार (संशोधन) विधेयक 2019 के नियमों के अन्तर्गत किया जायेगा। इनका कार्यकाल केन्द्र सरकार द्वारा निर्धारित अवधि (5 वर्ष से घटाकर 3 वर्ष की) 3 वर्ष या 65 वर्ष की आयु जो भी पहले हो के लिए किया जाएगा। पहले यह अवधि 5 वर्ष या 65 वर्ष थी। इन्हें पुनर्नियुक्ति की पात्रता नहीं होती। सूचना का अधिकार (संशोधन) विधेयक 2019 के प्रावधानों के अनुसार राज्य मुख्य सूचना आयुक्त तथा राज्य सूचना आयुक्तों के वेतन, भत्ते तथा सेवा शर्तें केन्द्र सरकार द्वारा निर्धारित की जाएँगी।

वेतन एवं भत्ते

राज्य के मुख्य सूचना आयुक्त एवं अन्य राज्य सूचना आयुक्तों के वेतन एवं भत्तों का निर्धारण केन्द्र सरकार द्वारा किया जायेगा। कार्यकाल के दौरान उनके वेतन एवं भत्तों तथा अन्य सेवा शर्तों में कोई अलाभकारी परिवर्तन नहीं किया जा सकता।
राज्य के मुख्य सूचना आयुक्त को ₹ 2.50 लाख एवं अन्य सूचना आयुक्तों को ₹ 2.25 लाख मासिक वेतन देय होगा।
सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 में यह प्रावधान किया गया है कि यदि मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्त पद पर नियुक्त होने के समय यदि किसी अन्य सरकारी नौकरी की पेंशन या अन्य सेवानिवृत्ति लाभ प्राप्त करता है तो उस लाभ के बराबर राशि को उसके वेतन से घटा दिया जाता है, लेकिन इस नए संशोधन विधेयक (2019) के द्वारा इस प्रावधान को समाप्त कर दिया गया है।

नियुक्ति

राज्यपाल द्वारा एक समिति की सिफारिश पर जिसमें मुख्यमंत्री (अध्यक्ष), विधानसभा में विपक्ष का नेता (सदस्य) एवं मुख्यमंत्री द्वारा मनोनीत एक कैबिनेट मंत्री शामिल होता है।

शपथ

राज्यपाल द्वारा या उसके द्वारा प्राधिकृत व्यक्ति के समक्ष।

त्यागपत्र

राज्यपाल के नाम संबोधित करके।

हटाना

राज्यपाल द्वारा यदि-
  • दिवालिया हो गए हों।
  • यदि उन्हें किसी नैतिक चरित्रहीनता के अपराध के संबंध में दोषी करार दिया गया हो
  • यदि कार्यकाल के दौरान अन्य लाभ का पद प्राप्त कर ले तो।
  • शारीरिक व मानसिक अक्षमता के आधार पर।
  • सिद्ध कदाचार या अक्षमता के आधार पर भी हटाया जा सकता है। ऐसे मामलों में राज्यपाल मामले की जाँच उच्चतम न्यायालय के पास भेजता है।
यदि उच्चतम न्यायालय जाँच के उपरान्त मामले को सही पाता है तो न्यायालय राज्यपाल को सलाह देता है इसके उपरान्त राज्यपाल अध्यक्ष या सदस्य को हटा सकता है।

राज्य सूचना आयोग की शक्तियाँ व कार्य

सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 की धारा 18, 19, 20 एवं 25 में केन्द्रीय सूचना आयोग व राज्य सूचना आयोग की शक्तियों व कर्त्तव्यों का उल्लेख है।

1. आयोग ऐसे मामलों में शिकायत प्राप्त कर सकता है और उन मामलों की जाँच भी कर सकता है जिनमें
  • (a) किसी लोकसूचना अधिकारी को आवेदन किया गया हो परन्तु ऐसे अधिकारी की नियुक्ति न की गई हो या सहायक लोक सूचना अधिकारी ने आवेदन या अपील को अग्रेषित करने से मना कर दिया हो।
  • (b) जिसे इस अधिनियम के अन्तर्गत माँगी गई कोई सूचना तक पहुँच से इंकार किया गया हो।
  • (c) जिसने अधिनियम के अन्तर्गत निर्धारित समय सीमा में सूचना प्रदान न की हो।
  • (d) जिसने ऐसी फीस राशि अदा करने की अपेक्षा की गई हो, जो वह अनुचित समझता है।
  • (e) इस अधिनियम के अधीन अभिलेखों के लिए अनुरोध करने या उन तक पहुँच प्राप्त करने से सम्बन्धित तथ्य हो।

2. यदि आयोग को यह समाधान हो जाता है किसी प्रकरण में जाँच के लिए युक्तिसंगत आधार है तो आयोग इस संबंध में जाँच कर सकता है।

राजस्थान सूचना आयोग

राजस्थान सूचना आयोग एक 'वैधानिक निकाय' है जो पूर्णतया स्वायत्तशासी है। सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 15 के अंतर्गत 'राजस्थान सूचना आयोग का गठन' किया गया हैं। इस हेतु राजस्थान सरकार ने शासकीय गजट में अधिसूचना 13 अप्रैल, 2006 को प्रकाशित कर गठन का प्रावधान किया। इसका मुख्य कार्यालय जयपुर में स्थित है।
राजस्थान में प्रशासन में पारदर्शिता एवं जवाबदेही लाने के उद्देश्य से सबसे पहले 30 दिसम्बर,1996 को पंचायती राज में 'सूचना का अधिकार' कानून शुरू किया गया। तत्पश्चात 26 जनवरी, 2000 को पहली बार सूचना का अधिकार कानून लागू किया गया। राजस्थान में इस अधिकार को प्राप्त करने के लिए 6 अप्रैल,1995 को 'मजदूर किसान शक्ति संघ' की प्रणेता अरुणा राय द्वारा आंदोलन किया गया। इस आंदोलन की शुरूआत ब्यावर (अजमेर) से की गई। केन्द्रीय कानून के अन्तर्गत 18 अप्रैल, 2006 से राजस्थान में 'राज्य सूचना आयोग' का गठन किया गया और राज्य के पहले सूचना आयुक्त की नियुक्ति की गई। श्री एम.डी कोरानी को 18 अप्रैल, 2006 को राज्यपाल द्वारा राज्य का प्रथम सूचना आयुक्त बनाया गया। वर्तमान में मोहन लाल लाठर राज्य के मुख्य सूचना आयुक्त है।

राजस्थान राज्य सूचना आयोग
क्र. अध्यक्ष पद ग्रहण कार्यकाल पूर्ण
1. एम.डी. कोरानी 18 अप्रैल, 2006 17 अप्रैल, 2011
2. टी. श्रीनिवासन 5 सितम्बर, 2011 13 अगस्त, 2015
3. सुरेश कुमार चौधरी 6 नवम्बर, 2015 दिसम्बर, 2018
4. डी.बी. गुप्ता 4 दिसम्बर, 2020 दिसम्बर, 2023 तक
5. मोहन लाल लाठर 9 जुलाई, 2024 लगातार

राजस्थान के पूर्व DGP श्री मोहन लाल लाठर को 9 जुलाई, 2024 को राज्य का नया सूचना आयुक्त बनाया गया है।
आयोग के वर्तमान सदस्य (जुलाई, 2023)
मोहन लाल लाठर - मुख्य सूचना आयुक्त
सुरेश चन्द्र गुप्ता - सूचना आयुक्त
महेन्द्र कुमार - सूचना आयुक्त
टीका राम शर्मा - सूचना आयुक्त

संरचना/गठन

(धारा-15) मुख्य सूचना आयुक्त तथा 10 अन्य सूचना आयुक्त हो सकते हैं। राजस्थान में मुख्य सूचना आयुक्त के अतिरिक्त 4 सूचना आयुक्तों के पद सृजित हैं।
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नियुक्ति

राज्यपाल द्वारा एक समिति की सिफारिश पर होती है समिति में-
  • मुख्यमंत्री - (अध्यक्ष)
  • विधानसभा में विपक्ष का नेता - (सदस्य)
  • मुख्यमंत्री द्वारा मनोनीत कैबिनेट स्तर का मंत्री - (सदस्य)
सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 में केन्द्र सरकार द्वारा संशोधन करते हुए सूचना का अधिकार (संशोधन) अधिनियम, 2019 पारित किया गया है जिसमें यह व्यवस्था की गई है कि राज्य के मुख्य सूचना आयुक्त एवं अन्य सूचना आयुक्तों की नियुक्ति व सेवा शर्तें केन्द्र सरकार द्वारा निर्धारित की जायेंगी।

शपथ

मुख्य व अन्य सूचना आयुक्तों को राज्यपाल द्वारा अथवा उसके द्वारा नियुक्त व्यक्ति द्वारा शपथ दिलवाई जाती है।

योग्यताएँ

आयोग का अध्यक्ष व सदस्य बनने के लिए सदस्यों का सार्वजनिक जीवन का पर्याप्त अनुभव हो तथा विधि, विज्ञान तकनीक, सामाजिक सेवा, प्रबंधन, पत्रकारिता, जनसंचार या प्रशासन का विशिष्ट अनुभव होना चाहिए।
  • वह संसद सदस्य या विधान मण्डल का सदस्य न हो।
  • वह लाभ का पद या व्यापार का पद धारण करने वाल न हो।

शपथ
राज्यपाल या उनके द्वारा इस कार्य हेतु नियुक्त व्यक्ति द्वारा।

कार्यकाल (Term of Office)

राजस्थान सरकार के प्रशासनिक सुधार विभाग के आदेश क्रमांक F.N : 6(1)AR/RT.I/2015 दिनांक 28.01.2020 के अनुसार राज्य के मुख्य सूचना आयुक्त और अन्य राज्य सूचना आयुक्तों का कार्यकाल पद ग्रहण करने की तिथि से (enters upon his office) 3 वर्ष या 65 वर्ष की आयु जो भी पहले हो होगा।

वेतन भत्ते

सूचना का अधिकार संशोधन अधिनियम, 2019 के द्वारा यह व्यवस्था की गई है कि राज्य मुख्य सूचना आयुक्त व अन्य सूचना आयुक्तों के वेतन एवं भत्ते केन्द्र सरकार द्वारा निर्धारित किए जाएंगे। इससे पूर्व राज्य के मुख्य सूचना आयुक्त का वेतन निर्वाचन आयुक्त व मुख्य सचिव के समकक्ष निर्धारित किया गया है। वर्तमान में इनके वेतन राज्य के मुख्य न्यायाधीश के समकक्ष होंगे। जबकि अन्य सूचना आयुक्तों के वेतन न्यायाधीशों के तुल्य होंगे।

त्याग पत्र

मुख्य व अन्य सूचना आयुक्त राज्यपाल को संबोधित करके अपने हस्ताक्षरित लेख द्वारा अपना पद त्याग सकते हैं।

हटाना

मुख्य व अन्य चुनाव आयुक्तों को सिद्ध कदाचार या असमर्थता के आधार पर सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश पर राज्यपाल द्वारा निर्धारित कार्यकाल से पूर्व भी पद से हटाया जा सकता है।

लोकसूचना अधिकारी

सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 की अनुपालना सुनिश्चित करने के लिए प्रत्येक विभाग में सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 की धारा 5(1) व 5(2) के अन्तर्गत लोक सूचना अधिकार / सहायक लोक सूचना अधिकारी की व्यवस्था की गई है। अधिनियम के अनुसार लोक प्राधिकरण द्वारा उसकी प्रशासनिक इकाइयों या कार्यालयों में ऐसे अधिकारी नियुक्त किये जायेंगे जो आवेदकों को आवेदित सूचना उपलब्ध करवायेंगे, इन्हें लोक सूचना अधिकारी कहते हैं। विभागाध्यक्ष के अधीनस्थ वरिष्ठतम अधिकारी को लोकसूचना अधिकारी/सहायक लोक सूचना अधिकारी नियुक्त किया जाता है जैसे ग्राम पंचायत स्तर पर ग्राम विकास अधिकारी (V.D.O.), पंचायत समिति में विकास अधिकारी (B.D.O.), उपखण्ड स्तर पर S.D.O., तहसील स्तर पर तहसीलदार लोक सूचना अधिकारी है। सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 की धारा 19(7), के अनुसार राजस्थान के लोक सूचना अधिकारी पर राजस्थान राज्य सूचना आयोग का आदेश बाध्यकारी होता है।

सूचना उपलब्ध करवाना

लोक सूचना अधिकारी निर्धारित प्रार्थना पत्र में चाही गई सूचना 30 दिन में उपलब्ध करवायेंगे। प्रथम अपील के विनिश्चय के विरुद्ध द्वितीय अपनी राज्य सूचना आयोग में 90 दिन के भीतर की जा सकती है।

सूचना का अधिकार (संशोधन) अधिनियम, 2019

केन्द्र सरकार ने सूचना का अधिकार संशोधन अधिनियम, 2019 को जुलाई, 2019 में विपक्ष के भारी विरोध के बीच पास कर दिया। सरकार का कहना है कि सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 में कुछ विसंगतियाँ हैं जिन्हें दूर किया जाना जरुरी है। अतः केन्द्र सरकार ने एक संशोधन पारित करके निम्नलिखित व्यवस्थाएँ की हैं-

सूचना आयोग की शक्तियाँ एवं कर्त्तव्य

  1. केन्द्रीय सूचना आयोग में मुख्य सूचना आयुक्त व अन्य सूचना आयुक्तों की नियुक्ति, वेतन एवं भत्ते व सेवा शर्तों का निर्धारण केन्द्र सरकार द्वारा किया जायेगा।
  2. राज्य के राज्य सूचना आयुक्तों व अन्य सूचना आयुक्तों के वेतन एवं भत्ते व सेवा की अन्य शर्तें केन्द्र सरकार निर्धारित करेगी।

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Kartik Budholiya

Kartik Budholiya

Education, GK & Spiritual Content Creator

Kartik Budholiya is an education content creator with a background in Biological Sciences (B.Sc. & M.Sc.), a former UPSC aspirant, and a learner of the Bhagavad Gita. He creates educational content that blends spiritual understanding, general knowledge, and clear explanations for students and self-learners across different platforms.