राज्य वित्त आयोग
स्थानीय स्वशासन संस्थाओं को वित्तीय सहायता प्रदान करने के उद्देश्य से 73वें एवं 74वें संविधान संशोधनों के माध्यम से वर्ष 1992 में राज्य वित्त आयोग के गठन का प्रावधान किया गया। इसके लिए संविधान के अनुच्छेद 243 (I), 243 (झ) तथा अनुच्छेद 243 (य) (म) में आवश्यक व्यवस्थाएँ की गई हैं।
इन संवैधानिक संशोधनों के अनुसार यह अनिवार्य किया गया है कि प्रत्येक राज्य का राज्यपाल, 73वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 के लागू होने के एक वर्ष के भीतर तथा उसके बाद प्रत्येक पाँच वर्ष के अंतराल पर राज्य वित्त आयोग का गठन करेगा।
देश में स्थानीय स्वशासन को संवैधानिक दर्जा दिए जाने के बाद वर्ष 1993 से सभी राज्यों में राज्य वित्त आयोगों का गठन किया जाने लगा। अनुच्छेद 243 (I) एवं 243 (य) के प्रावधानों के साथ-साथ राजस्थान पंचायती राज अधिनियम, 1994 तथा राजस्थान नगरपालिका अधिनियम, 2009 के अंतर्गत राज्यपाल द्वारा राज्य वित्त आयोग की स्थापना की जाती है।
राज्य वित्त आयोग में एक अध्यक्ष के अतिरिक्त अधिकतम चार अन्य सदस्य हो सकते हैं। यह आयोग पंचायती राज संस्थाओं और नगर निकायों की वित्तीय स्थिति का आकलन करता है तथा उन्हें अनुदान एवं वित्तीय संसाधनों के वितरण से संबंधित सिफारिशें प्रस्तुत करता है।
आयोग के कार्य
आयोग राज्य संचित निधि से पंचायतों व नगर पालिकाओं को अनुदान देने की सिफारिश करता है।
स्थानीय निकायों की वित्तीय स्थिति को सुधारने की सिफारिशें करता है।
कर शुल्क, पथकर में से स्थानीय निकायों को कौनसे कर सौंपे जाये इसकी सिफारिश करता है।
राज्य द्वारा वसूले गये कर शुल्क, पथकरों से प्राप्त शुल्क राशि के वितरण का सिद्धान्त निर्धारित करना।
राज्यपाल द्वारा सौंपे गये कार्य जो स्थानीय संस्थाओं की स्थिति को बेहतर बनाने में सहायक हों।
राज्य वित्त आयोग अपना वार्षिक प्रतिवेदन राज्य पाल को प्रस्तुत करेगा। राजस्थान में पहले राज्य वित्त आयोग की नियुक्ति 24 अप्रैल, 1994 में की गई। श्री प्रद्युम्न सिंह को 6वें राज्य वित्त आयोग का अध्यक्ष बनाया गया है।
छठा राजस्थान राज्य वित्त आयोग
राजस्थान सरकार ने पूर्व वित्त मंत्री प्रद्युम्न सिंह की अध्यक्षता में छठे राज्य वित्त आयोग का गठन 12 अप्रैल, 2021 को कर दिया गया। राज्यपाल कलराज मिश्र से गठन के आदेशों की स्वीकृति प्राप्त होने पर राज्य के वित्त विभाग की ओर से गठन की अधिसूचना 12 अप्रैल, 2021 को जारी की गई। वित्त विभाग से जारी अधिसूचना के अनुसार आयोग में अध्यक्ष के अतिरिक्त पूर्व मंत्री लक्ष्मण सिंह व भाजपा के पूर्व विधायक अशोक लाहोटी को सदस्य बनाया गया है। अशोक लाहोटी सांगानेर से भाजपा के पूर्व विधायक हैं जबकि लक्ष्मणसिंह (भीम) से पूर्व कांग्रेस विधायक हैं। राज्य मंत्रिमंडल सचिवालय द्वारा जारी आदेश के अनुसार राज्य वित्त आयोग के अध्यक्ष को कैबिनेट स्तर के मंत्री का दर्जा प्रदान किया गया। आयोग के अध्यक्ष पाँचवे वित्त आयोग के सदस्य भी रह चुके हैं।
| आयोग की संरचना | ||
|---|---|---|
| क्र.सं. | सदस्य का नाम | पद |
| 1. | प्रद्युम्न सिंह | अध्यक्ष |
| 2. | लक्ष्मण सिंह | सदस्य |
| 3. | अशोक लाहोटी | सदस्य |
कार्यकाल
6वें राज्य वित्त आयोग की पंचायत अवधि वर्ष 2020-21 से 2024-25 है। आयोग का कार्यकाल 1 वर्ष 6 माह का होगा। आयोग अपनी रिपोर्ट में वर्ष 2011 के जनगणना आंकड़ों के आधार पर सिफारिश करेगा। आयोग की सिफारिशें 1 अप्रैल 2020 से 31 मार्च 2025 तक के लिए लागू होगी। आयोग सभी स्तरों पर पंचायतों की वित्तीय स्थिति का पुनर्विलोकन करेगा और निम्नलिखित विषयों के संबंध में सिफारिश करेगा। आयोग पंचायत राज संस्थाओं व शहरी निकायों की 1 अप्रैल 2020 से 5 वर्ष के लिए राज्य के करों (Tax) में हिस्सेदारी दिये जाने की रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा।
सिफारिशें
आयोग की सिफारिश के अनुसार राज्य के स्वयं के शुद्ध कर राजस्व का 6.75% हिस्सा पंचायतों व नगरपालिकाओं के मध्य 75.10 एवं 24.90 के अनुपात में वर्ष 2011 की जनगणना के आधार पर किया जायेगा। पंचायती राज संस्थाओं के मध्य राशि के वितरण का अनुपात 5 : 20 : 75 रहेगा।
वर्ष 2020-21 एवं 2021-22 की सिफारिश अनुसार अनुदान राशि की 55% राशि मूलभूत एवं विकास कार्यों में और 40% राशि का उपयोग राष्ट्रीय और राज्य प्राथमिक योजनाओं को लागू करने में तथा 5% राशि विभिन्न कार्यों एवं कार्यक्रमों के क्रियान्वयन के प्रोत्साहन के लिए खर्च की जायेगी। वित्तीय वर्ष 2021-22 में कुल ₹ 2.942 करोड़ राशि का प्रावधान किया गया है। पंचायतों को 1.397.22 करोड़ रुपये दिये जायेंगे। जिसमें से 100 करोड़ पंचायत सहायकों के मानदेय के लिए होगा। वित्तीय वर्ष 2021-22 के दौरान दिसम्बर 2021 तक कुल 263.54 करोड़ व्यय कर 2904 कार्य पूर्व करवाये गये हैं।
इससे पूर्व 30 मई 2015 को अर्थशास्त्री ज्योति किरण को 5वें राज्य वित्त आयोग की अध्यक्षा बनाया गया था। यह राज्य के राजस्व में से पंचायतों को और नगरीय निकायों को अनुदान देने की सिफारिश करता है। 2005 से पहले पंचायतों को 2.5 प्रतिशत हिस्सा मिलता था। तीसरे आयोग ने इसे बढ़ाकर 3.5 प्रतिशत और चौथे आयोग ने 5 प्रतिशत किया। हाल ही में 5वें राज्य वित्त आयोग द्वारा अपनी रिपोर्ट में सरकार की आमदनी का 7.182 प्रतिशत पंचायती राज संस्थाओं को अनुदान देने की सिफारिश की है। 5वें राज्य वित्त आयोग की पंचायत अवधि 2015-2020 थी। आयोग की सिफारिशें 1 अप्रैल, 2015 से 31 मार्च, 2020 तक की अवधि हेतु कार्यरत रहेंगी। आयोग की सिफारिशों के अनुसार राज्य के स्वयं के शुद्ध राजस्व के 7.182% हिस्से का वितरण पंचायती राज संस्थाओं एवं नगरीय स्थानीय निकायों के मध्य 75.10 एवं 24.90 के अनुपात में 2011 की जनगणना के आधार पर किया जाता है। आयोग द्वारा वर्ष 2019-2020 में जारी अपनी अन्तिम रिपोर्ट में कहा गया है कि पंचायती राज संस्थाओं के मध्य राशि के वितरण का अनुपात 5:20:75 रहेगा।
5वें राज्य वित्त आयोग की मुख्य सिफारिशें
पहली बार जिला परिषदों, पंचायत समितियों व ग्राम पंचायतों को परफॉरमेंस अनुदान देने की सिफारिश की है। यह राशि पंचायतों को मिलने वाले अनुदान में से 5 प्रतिशत होगी।
प्रोत्साहन अनुदान- परफॉरमेंस अनुदान के साथ राष्ट्रीय महत्व की योजनाओं के लिए 10 प्रतिशत प्रोत्साहन अनुदान दिये जाने की सिफारिश की है।
पहली बार रिपोर्ट में देश के सामाजिक, आर्थिक सर्वेक्षण के आंकड़े शामिल किये गये हैं।
राज्य में पिछड़ेपन का सूचकांक तैयार किया गया है। कोई जिला जितना पिछड़ा होगा उसे उतना ही अधिक अनुदान दिया जायेगा।
जिला परिषदों व पंचायत समितियों की हिस्सेदारी बनायी गयी है। राज्य वित्त आयोग द्वारा अपनी सिफारिश में वित्तीय संसाधन बढ़ाने की सिफारिश की हैं जिला परिषदों को 5 प्रतिशत और पंचायत समितियों को 20 प्रतिशत अनुदान देने की सिफारिश की है। आयोग की सिफारिश के अनुसार अनुदान की 55% राशि का उपयोग मूलभूत एवं विकास कार्यों के लिए 40% राशि का उपयोग राष्ट्रीय व राज्य प्राथमिक योजनाओं को लागू करने में और शेष 5% राशि विभिन्न कार्यों व कार्यक्रमों पर व्यय होगी। वित्तीय वर्ष 2020-21 में ₹ 2,267.93 करोड़ का प्रावधान किया गया है।
सदस्य सचिव
मई, 2021 में राज्यपाल कलराज मिश्र द्वारा पूर्व प्रशासनिक अधिकारी बन्नालाल को राज्य वित्त आयोग का सदस्य सचिव नियुक्त किया है।
| राजस्थान के राज्य वित्त आयोगों के अध्यक्षों की सूची | |||
|---|---|---|---|
| आयोग का क्रम | नियुक्ति तिथि | अध्यक्ष का नाम | सिफारिशों की कार्यविधि |
| प्रथम राज्य वित्त आयोग | 24 अप्रैल, 1994 | कृष्ण कुमार गोयल | 1 अप्रैल 1995 से 31 मार्च 2000 तक |
| दूसरा राज्य वित्त आयोग | 7 मई, 1999 | हीरालाला देवपुरा | 1 अप्रैल 2000 से 31 मार्च 2005 तक |
| तीसरा राज्य वित्त आयोग | 2004 | माणिक चन्द सुराणा | 1 अप्रैल 2005 से 31 मार्च 2010 तक |
| चौथा राज्य वित्त आयोग | 13 अप्रैल, 2011 | डॉ. बी.डी.कल्ला | 1 अप्रैल 2010 से 31 मार्च 2015 तक |
| पाँचवाँ राज्य वित्त आयोग | 31 मई, 2015 | डॉ. ज्योति किरण | 1 अप्रैल 2015 से 31 मार्च 2020 तक |
| छठा राज्य वित्त आयोग | 12 अप्रैल, 2021 | प्रद्युम्न सिंह | 1 अप्रैल, 2020 से 31 मार्च, 2025 |

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